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बंगाल का पाल गड़रिया राजवंश

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पाल गड़रिया राजवंश - पाल साम्राज्य मध्यकालीन उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण साम्राज्य माना जाता है, जो कि 750-1174 इसवी तक चला। यह पूर्व-मध्यकालीन राजवंश था। इस वंश के शासकों ने भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनाया। जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पनन्न हो गया, तब बिहार, बंगाल और उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरी तरह अराजकत फैली थी। पाल साम्राज्य की नींव 750 ई. में राजा गोपाल पाल ने डाली। जो की गड़रिया समुदाय से थे । बताया जाता है कि उस क्षेत्र में फैली अशान्ति को दबाने के लिए कुछ प्रमुख लोगों ने उसको राजा के रूप में चुना। इस प्रकार राजा का निर्वाचन एक अभूतपूर्व घटना थी। इसका अर्थ शायद यह है कि गोपाल उस क्षेत्र के सभी महत्त्वपूर्ण लोगों का समर्थन प्राप्त करने में सफल हो सका और इससे उसे अपनी स्थिति मज़बूत करन में काफ़ी सहायता मिली। गोपाल के बाद उसका बेटा राजा धर्मपाल ७७० ई. में सिंहासन पर बैठा। धर्मपाल ने ४० वर्षों तक शासन किया। धर्मपाल ने कन्‍नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलझा रहा। उसने कन्‍नौज की गद्दी ...

गड़रिया राजवंश व राजाओं का विवरण

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गड़रिया समुदाय की उत्पत्ति पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य के रूप में हुई । गड़रिया समुदाय पृथ्वी के सभी राज्यों और नेपाल भूटान अफगानिस्तान व अमेरिका के कैलिफोर्निया में पाए जाते हैं । गड़रिया समुदाय पशुपालन के साथ कृषि खेती पर निर्भर है । गड़रिया एक क्षत्रिय योद्धा जाति है । जिसे भारत के राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है । उत्तर प्रदेश - पाल बघेल धनगर गड़रिया निखर कर्नाटक - कुरूबा हालुमता पुजारी गौड़ा महाराष्ट्र - धनगर हटकर गुजरात - भरवाड़ तेलंगाना - कुरूमा तमिलनाडु - कुरूम्बा केरल - कुरूबन बिहार - पाल गडेरी राऊत हरियाणा - पाल राजस्थान - गाडरी गायरी धनगर मध्यप्रदेश - पाल बघेल धनगर चौधरी गायरी छत्तीसगढ़ - पाल पाली धनगर हिमाचल प्रदेश - गद्दी गड़रिया समुदाय के क्षत्रिय राजवंश मालवा , इन्दौर का होल्कर राजवंश एक धनगर ( गड़रिया ) राजवंश है । जिसे संस्थापक मल्हार राव होल्कर थे । विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक हरिहर और बुक्का थे । जो कुरूबा ( गड़रिया ) राजवंश था । बंगाल का पाल राजवंश के संस्थापक राजा गोपाल था । जो पाल ( गड़रिया ) समुदाय का राजवंश है । मगध का मौर्य राजवंश ...

बुलन्दशहर में पाल गड़रिया समुदाय की जनसंख्या

बुलंदशहर जिले में गड़रिया समुदाय की जनसंख्या 1.5 लाख है । जिले में इन्हें पाल बघेल गड़रिया नाम से जाना जाता है ‌। ज़िले में गड़रिया समुदाय मुख्यतः कृषि पर निर्भर है । बुलन्दशहर का गड़रिया समुदाय अपने आप को राजाओं से जुड़ा व बंगाल के पाल राजवंश से जुड़ा हुआ है । जिले में पाल समाज के लोग तीखे और गर्म दिमाग के है । पूर्वी - दक्षिणी जिले के पहासू, अनूपशहर , सिकंदराबाद, औरंगाबाद, गुलावठी के क्षेत्र के आस पास गड़रिया बाहुल्य गांव है । क्षत्रिय योद्धा वाला तेज तराठ वाला खून बाहुबल वाला पाल समाज गांव के ज्यादातर बड़े भूभाग पर खेती करता है । कभी गड़रिया समुदाय का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बुलंदशहर था परन्तु सन् 2000 से पाल समाज ने बुलंदशहर से पलायम करके मेरठ गाजियाबाद दिल्ली नोएडा जैसे बड़े बड़े शहरों में बस गए । कुचेसर, ऊचागाव जैसी रियासतों पर पाल सरदारों का दबदबा रहा है ।

खंडेराव होलकर का इतिहास सूरजमल को युद्ध में हरा दिया था ।

इतिहास का एक सच्च मराठा कभी युद्ध नहीं हारे और मराठों से कोई कभी युद्ध नहीं जीता । अगर सूरजमल इतना महान था तो वो मराठों से युद्ध लड़नें के लिए किले से बाहर क्यों नहीं निकला था। जनवरी 1754 ई. के शुरूआत में खण्डेराव ने चार हजार मराठा सेना के साथ मिलकर अपना डेरा लगाया। जिसके बाद उन्होंने जाट प्रान्त के मेवाती जिलों में अधिकार जमाने के लिए मराठा टुकड़ियों को रवाना कर दिया। मराठा सैनिकों ने जाटों पर आक्रमण किया और अपना अधिकार हासिल किया। जिस समय मराठा सैनिकों ने हमला किया उस समय सूरजमल जाट का पुत्र जवाहर सिंह बरसाना में मौजूद थे। डर इतना ज्यादा बढ़ गया कि उसने बरसाना छोड़ने का फैसला लिया और डींग पहुंच गए। वहीं उन्होंने पनह ली। जिसके बाद खंडेराव ने जाटों के शहरों पर अपना हक जमाना शुरू कर दिया। साथ ही अपने राज्य को वहां स्थापित भी किया। 17 मार्च, 1754 ई० को खण्डेराव होलकर युद्ध का संचालन कर रहे थे उसी समय घात लगाये बैठे जाट सैनिकों ने खण्डेराव पर हमला कर दिया । जिसे उनकी मृत्यृ हो गई। उस समय खंडेराव होलकर की उम्र 31 साल थी । #maratha #holkar #मराठा #gadariya #PalSahab #Dhangar

गड़रिया सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की कहानी

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भारत के महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य थे। इन्होंने मौर्य राजवंश / मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२१ ई.पू. निर्धारित की जाती है। उन्होंने लगभग 24 वर्ष तक शासन किया और इस प्रकार उनके शासन का अन्त प्रायः २८५ ई.पू. में हुआ। भारतीय तिथिक्रम के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य का शासन ईपू १५३४ से आरम्भ होता है। वर्तमान में इनके वंशज गड़रिया है | डां. असुदोश के लेखन में मिलता है कि कोई मौर्य टाइटल लगाने से मौर्य नहीं हो जाता चन्द्रगुप्त मौर्य एक चरवाह गड़रिया थे |

महाराष्ट्र में धनगर समुदाय की जनसंख्या 13 % प्रतिशत है |

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भारत का सबसे इनामी डाकू रामबाबू गड़रिया

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भारत का सबसे इनामी डाकू रामबाबू गड़रिया था | जिस पर 2006 में 15 लाख रु. का ईनाम घोषित था जो अब के समय के मुताबिक 60 लाख रूपये के बार है |